तिरंगा नहीं खरीदेंगे तो नहीं मिलेगा राशन
तिरंगा नहीं खरीदेंगे तो नहीं मिलेगा राशन : ये लाइन आजादी के अमृत महोत्सव और घर-घर तिरंगा मुहिम के कुछ दिनों पहले की है जो कि गरीब लोगों के लिए राशन वितरण करने वाले दुकानदारों के द्वारा कही गई थी।
इतना ही नहीं झंडा खरीदना भी पढ़ेगा और वह भी हमारी दुकान से और हमारे द्वारा बताई गई कीमत पर,दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करने वाले गरीब पर चाहे पैसे हो या नाहो या किसी से उधार ही क्यों न लेने पड़े लेकिन झंडा खरीदना जरूरी है।
आईये जाने और समझे विस्तारपूर्वक तिरंगा नहीं खरीदेंगे तो नहीं मिलेगा राशन
चलिए इस पूरे प्रकरण को समझने की कोशिश करते हैं राष्ट्रवाद के लिए झंडा खरीदना झंडा फहराना संविधान की इज्जत करना,देश भक्ति गीत गाना व राष्ट्रगान बजने या गाये जाने पर पर खड़े होना यह सब देशभक्ति और राष्ट्रवाद से जुड़ी भावनाए प्रत्येक भारतीय नागरिक के अंदर होनी चाहिए और इस तरह की भावनाओं के प्रचार प्रसार के लिए उठाए गए कदम भी सार्थक है।लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते गरीब को यदि जबरन झंडा खरीदने के लिए मजबूर किया जाए और झंडे को खरीदने के लिए उसके पास पैसे ना होने की स्थिति में गरीब के द्वारा किसी से उधार लेकर झंडा खरीदने की मजबूरी जैसी स्थिति दिखाई दे तो यह निश्चित रूप से राष्ट्रवाद के विकास का प्रयास नहीं बल्कि एक गरीब का अपमान और शोषण है और यदि यह अपमान और शोषण जिले के उच्च अधिकारियों के द्वारा किया जाए तो इससे बड़ी शर्मसार स्थिति हमारे देश की कुछ नहीं हो सकती सरकार के निवेदन या जनप्रतिनिधियों के प्रयास को हमारे देश में अधिकारी लोग एक दबाव पूर्ण कार्य की तरह लेते हैं जिसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ता है। यदि झंडा नहीं लोगे तो आपको राशन खरीदना ही पड़ेगा इस तरीके की धमकी वाली स्कीम राशन की कई दुकानों से भारत में सामने आयी।
हरियाणा के कुछ सरकारी राशन दुकानदारों पर धमका कर झंडा जबरन बेचने के आरोप लगाए गए और साथ ही सरकार का आदेश है इस तरह की बात सफाई में बताई गई। फरीदाबाद की बबीता कहती है बिना झंडे की उसे राशन नहीं दिया गया उसे मजबूरन झंडा खरीदना पड़ा जबकि एक गरीब के लिए ₹20 का झंडा मजबूरन खरीदना बहुत बड़ी बात होती है क्योंकि एक एक पैसे की किल्लत और महंगाई के चलते गरीब लोग इन दिनों काफी परेशान है ऐसे यह घटना की जानकारी देते हुए करनाल की संतो बताती हैं कि वह जब राशन की दुकान पर गई तो उसे राशन दुकानदार के द्वारा झंडा लेने के लिए मजबूर किया गया |
इतना ही नहीं वायरल वीडियो में राशन दुकानदार दिनेश शर्मा कह रहा है कि वह बिना झंडे के राशन ना दिए जाने के लिए मजबूर है क्योंकि उसे ऊपर के अधिकारियों के द्वारा यह साफ निर्देश दिए गए हैं कि यदि झंडा नहीं खरीदा जाएगा तो राशन नहीं देना है।हालांकि इस प्रकार की खबरें जैसे ही सामने तो करनाल के एक राशन दुकानदार का लाइसेंस भी कैंसिल कर दिया गया लेकिन बात यह है कि सरकारी किसी भी आदेश को अधिकारी जनता पर रौब झाड़ते हुए किस प्रकार से दुरुपयोग कर कर सरकार की बदनामी करती हैं और गरीबों का भी शोषण करते हैं |
इस तरह किसी भी सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम में सरकार और अधिकारियों को संवेदनशीलता बरतनी चाहिए इसीलिए उन्हें इतनी अच्छी पढ़ाई और प्रशिक्षण के बाद इन पदों पर बैठाया जाता है लेकिन इतने अच्छे पदों पर बैठकर भी यदि जनता का शोषण होता रहा तो क्या अर्थ रह जाएगा |
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आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान इस तरह की घटना की आलोचना करते हुए बीजेपी की वरुण गांधी कहते हैं यह हमारे देश की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि गरीबों का निवाला छीनकर उनको झंडा खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है और जब वह झंडा खरीदने के पैसे नहीं दे पा रहे हैं तो उसका पैसा उनके राशन के हिस्से में से काटा जा रहा है इस तरह की घटनाओं की आलोचना काफी बड़े स्तर पर भारत में हो रही है लेकिन फिर भी घर-घर तिरंगा मुहिम के साथ आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत में इस बार फैरता झंडा पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा संख्या में देखने को मिला आशा करते हैं हमारे देशवासी मुफ्त या कम कीमत में प्राप्त होने वाले इस झंडे की इज्जत करेंगे और किसी भी प्रकार से झंडे और राष्ट्र के अपमान जैसी घटना से बचेंगे
संवादाता: राखी शर्मा