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Friday, September 20, 2024

भारत समेत पूरे विश्व पर मंडरा रहा है मंकीपॉक्स का खतरा

भारत समेत पूरे विश्व पर मंडरा रहा है मंकीपॉक्स का खतरा

भारत समेत पूरे विश्व पर मंडरा रहा है मंकीपॉक्स का खतरा: खतरनाक जानलेवा वायरस मंकीपॉक्स अब देश समेत पूरे विश्व में फैलता जा रहा है |

भारत समेत पूरे विश्व पर मंडरा रहा है मंकीपॉक्स का खतरा
भारत समेत पूरे विश्व पर मंडरा रहा है मंकीपॉक्स का खतरा

खतरनाक जानलेवा वायरस मंकीपॉक्स अब अपने पैर भारत समेत पूरे विश्व में  पसारता चला जा रहा है |मंकी पॉक्स मेगा डॉट कॉम के आंकड़ों के भारत समेत दुनिया के 80 देशों में मंकीपॉक्स के अब तक 18,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जिसमें सर्वाधिक मामले यूरोप से जुड़े हुए हैं।

मंकी पॉक्स वायरस के सर्वाधिक खतरे की चपेट में आने वाले टॉप 10 देशों में ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा, नीदरलैंड, इटली, बेल्जियम है। डब्ल्यू.एच.ओ ने इसे इमरजेंसी हालात के रूप में घोषित किया है |

मंकी पॉक्स वायरस के चलते इस वर्ष 5 लोगों की जान जा चुकी है |भारत में भी धीरे-धीरे मंकी पॉक्स से जुड़ी डरावनी खबरें सामने आ रही हैं | केरल के बाद राजधानी दिल्ली में मंकी बॉक्स से संक्रमित मरीज मिलने से राजधानी दिल्ली में हड़कंप मच गया है |

31 वर्षीय संक्रमित मरीज को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है |जानकारी के मुताबिक संक्रमित मरीज ने विदेश यात्रा तो नहीं की लेकिन वह हिमाचल प्रदेश घूमने गया था |साथ ही हाल ही में बिहार में भी एक महिला के मिंकी बॉक्स से संक्रमित होने की खबर भी आ रही है जिसके चलते बिहार का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने संक्रमण सुरक्षा के लिए गाइडलाइन जारी किए हैं |इस संक्रमण की जांच हेतु 16 लेब प्रमाणित की गई है जिनमें से 2 केरल में है।

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क्या है मंकी पॉक्स वायरस के लक्षण?

यदि आप अपने जीवन और स्वास्थ्य को लेकर थोड़े से भी सजग हैं तो आपको मंकीपॉक्स वायरस जैसे खतरे से निपटने के लिए सबसे पहले उसके लक्षणों को समझना होगा |मंकी पॉक्स वायरस के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर स्वयं लैब में आप के नमूने जांच के लिए भी देंगे |

मंकी पॉक्स संक्रमण की पुष्टि होते ही मरीज को अन्य सामान्य लोगों से अलग रहना होगा क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे अन्य लोग भी संक्रमित हो जाते हैं |

यह संक्रमण कैसे फैलता है इस पर बाद में चर्चा करेंगे पहले चर्चा करते हैं:-

इसके लक्षणों की बुखार आना, ठंड लगना, सिर में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन होना,पीठ में दर्द होना,थकावट महसूस होना,त्वचा का कट जाना,या त्वचा खुरदरी होना(त्वचा पर रेसेश होना) शरीर में खुजली होना,गला खराब होना बार बार खांसी आना,शरीर में थकान और सुस्ती जैसा महसूस करना इस प्रकार की समस्या मंकी पॉक्स वायरस के शुरुआती लक्षण में से एक हैं।

कैसे करें बचाव?

कोरना वायरस की तरह ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को अन्य सामान्य व्यक्तियों से अलग रखा जाता है और संक्रमित व्यक्ति के तरल पदार्थों के द्वारा यह अन्य व्यक्तियों में फैलता है।संक्रमित व्यक्ति के स्वसन बूंद ,मूत्र, व स्पर्म आदि के द्वारा यह अन्य व्यक्तियों तक संप्रेषित हो जाता है ।

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आई वस्तुओं के द्वारा भी यह फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं व संक्रमित व्यक्ति के आसपास रखी वस्तुएं जैसे बिस्तर,टेबल,कुर्सी,पेन,खाने-पीने के बर्तन आदि इसलिए संक्रमित व्यक्ति को बड़ी सावधानी के साथ आइसोलेट रखना होगा संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाना भी घातक हो सकता है क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति के स्पर्म से भी फैलता है |

हालांकि अभी तक इस घातक बीमारी की मारक क्षमता 3% और 4% आंका गया है लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो यह बढ़कर 10% हो सकती है इसलिए इन दिनों कोरोना नियमों की तरह ही अजनबी व्यक्तियों के संपर्क में आने पर सावधानी बरतें और बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और लक्षण से ग्रसित व्यक्ति को सामान्य व्यक्तियों से अलग (आइसोलेट) रखें। सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार डॉक्टरों के के साथ संपर्क रखते हुए चेचक का टीका लगवाना अनिवार्य है।

साथ ही जानवरों से भी रहें सजग क्योंकि यह वायरस जानवरों के द्वारा भी इंसान में फैल सकता है चूहा,गिलहरी,बंदर के संपर्क के द्वारा भी यह वायरस इंसानों के अंदर आ सकता है

क्या है वायरस का इतिहास?

जानवरों में मंकीपॉक्स वायरस को सर्वप्रथम 1958 डेनमार्क मे स्थित कोपेहेगन की प्रयोगशाला बंदरो के बीच एक अलग बीमारी के लक्षण दिखने पर पहचाना गया था । यह वायरस ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनेटिक वायरस है इंसानों में इसके मौजूद होने की पुष्टि 1970 में कांगो में पाए गए एक संक्रमित बच्चे के आधार पर हुई सन 1980 के दशक में इस वायरस के संक्रमण ने काफी आतंक मचाया और अब डब्लू.एच.ओ. के मुताबिक इसे संवेदनशील वायरसो में शामिल करते हुए हेल्थ इमरजेंसी गाइडलाइन जारी किए हैं।

रिपोर्ट :तरुण शर्मा

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