संस्कृति विवि में आयुर्वेद की उपयोगिता से जुड़े संवाद पर डा. वार्ष्णेय द्वारा रखे गये अपने विचार
संस्कृति विवि में आयुर्वेद की उपयोगिता से जुड़े संवाद पर डा. वार्ष्णेय द्वारा रखे गये अपने विचार: उनके द्वारा आयुर्वेद की उपयोगिता को लेकर दी गई कई महत्वपूर्ण जानकारी |
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संस्कृति विवि के सभागार में विद्यार्थियों को आरोग्य भारती संस्था के राष्ट्रीय संगठन सचिव एवं आयुष मंत्रालय की सलाकार समिति के सदस्य डा. अशोक वार्ष्णेय द्वारा मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया गया
संस्कृति विश्वविद्यालय में ‘वर्तमान परिवेश में आयुर्वेद की उपयोगिता व आयुर्वेद के छात्रों का भविष्य’ विषय पर आयोजित एक महत्वपूर्ण ‘संवाद’ में आरोग्य भारती संस्था के राष्ट्रीय संगठन सचिव एवं आयुष मंत्रालय की सलाकार समिति की सदस्य डा. अशोक वार्ष्णेय ने आयुर्वेद के विद्यार्थियों से कहा कि पराभूत मानसिकता से बाहर निकलकर सकारात्मक सोच के साथ नवोन्मेष के आइडिया लेकर आगे बढ़ेंगे तो आपकी सफलता को कोई रोग नहीं पायेंग।
डा. वार्ष्णेय ने कहा कि पूरे विश्व में आयुर्वेद को लेकर चर्चा और गंभीरता बढ़ी है। कोरोना काल के दौरान आयुर्वेद की उपयोगिता सिद्ध हुई है। पिछले दिनों हुई विश्वस्तरीय बैठक में जिसमें अनेक देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे आयुर्वेद के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना को लेकर बात हुई। उसके बाद ट्रेडीशनल मेडिकल सिस्टम की आधारशिला रखी गई। भारत में पहली बार अप्रैल में अहमदाबाद में आयुर्वेद ग्लोबल इन्वेस्टर समिट हुई। 30 देशों में आयुर्वेदा क्लस्टर के लिए एमओयू हुआ है। माडर्न मेडिकल सिस्टम के प्रति बहुत अधिक विश्वास का ट्रेंड बदल रहा है। पिछले आठ वर्षों के दौरान भारत में केंद्र सरकार आयुष के प्रति बहुत ज्यादा ध्यान दे रही है। केंद्र सरकार की प्रायर्टी लिस्ट में आयुष मंत्रालय आया है, बजट भी बहुत बढ़ा है। पहली बार ऐसा देखने में आ रहा है कि आयुर्वेद कालेजों की सीटें भर गई हैं बहुत से विद्यार्थियों को एडमीशन नहीं मिल पाया। आज आयुर्वेद की शिक्षा के लिए 750 मेडिकल कालेज हैं जबकि पहले 400 थे।
अच्छे विद्यार्थियों को तलाशती हैं नौकरियाः डा. वार्ष्णेय
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की शिक्षा ले रहे छात्रों को अपने को सौभाग्यशाली समझना चाहिए, मजबूर नहीं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के क्षेत्र में न तो नौकरियों की कमी है और न अपनी प्रैक्टिस के लिए मरीजों की कमी है जो आयुर्वेद पर विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे विद्यार्थियों को नौकरियां ढूंढती हैं, उन्हें नौकरी नहीं ढूंढनी पड़ती।
डा. वार्ष्णेय से पूर्व आरोग्य भारती के प्रांतीय संगठन सचिव डा. रमेश ने एक अच्छी दिनचर्या के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वस्थ रहने के लिए हमारी दिनचर्या ठीक होनी चाहिए। दिनचर्या तभी ठीक हो सकती है जब आप उसके लिए दृढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि खान-पान का स्वास्थ्य पर बहुत असर पड़ता है, समय से खाना, समय से उठना, समय से सोना हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
संवाद में संस्कृति विवि के चांसलर सचिन गुप्ता ने विद्यार्थियों से मन लगाकर पढ़ाई करने और अपने अंदर सेवाभाव बनाए रखने का आह्वान किया। संस्कृति विवि के कुलपति डा. तन्मय गोस्वामी ने मुख्य अतिथि डा. वार्ष्णेय का परिचय देते हुए उनकी अनवरत जारी मानव सेवा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। संस्कृति आयुर्वेद कालेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डा. सुजित दलाई ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते आयुर्वेद चिकित्सा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति आयुर्वेद कालेज की शिक्षिका डा. सपना ने किया।