Standards were set in the Business and Leadership Conclave at Sanskriti University
संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित बिजनेस एंड लीडरशिप कॉन्क्लेव में विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने विद्यार्थियों और श्रोताओं को व्यापार जगत में सफलता और नेतृत्व क्षमता अर्जित करने के अनेक टिप्स देकर कॉन्क्लेव की उपयोगिता को ऩई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। कॉन्क्लेव में जहां व्यापार में ग्राहक को भगवान और कर्मचारी को हनुमान की संज्ञा दी गई वहीं लीडर बनने के लिए कर्तव्य, निष्ठा, संस्कृति और ज्ञान को मूलमंत्र बताया गया।
संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल हाल में हुआ। कॉन्क्लेव उद्घाटन सहित कुल छह सत्रों में समाहित था। कॉन्क्लेव का शुभारंभ आध्यात्मिक गुरु आचार्य सतीश सद्गुगुरु जी महाराज, संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, प्रति कुलाधिपति राजेश गुप्ता, उद्योगपति पूरन डाबर, अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड के चेयरमैन रमेश अग्रवाल, डाबर ग्रुप के चीफ मैनेजिंग डाइरेक्टर पूरन डावर, एचआईआईएमएस के फाउंडर मनीषजी, कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
उद्घाटन सत्र में संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने अपने स्वागत भाषण में सभी वक्ताओं का परिचय देते हुए कहा कि कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता चाहते हैं कि हर विद्यार्थी जो भी संस्कृति विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है नौकरी ढूँढने वाला नहीं नौकरी प्रदान करने वाला बने। उनके नेतृत्व में शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में संस्कृति विवि ने बहुत काम किया है। उद्योगपति पूरन डावर ने अपने जीवन से जुड़े अनेक संस्मरणों का हवाला देते हुए कहा कि आज का समय युवा पीढ़ी के लिए अमृत काल है, यह काल स्वतंत्रता का दूसरा चरण है , आर्थिक स्वतंत्रता का काल है। आप लोगों को देश के लिए जान देने का मौका नहीं मिला पर आप लोगों को शान से जीने का मौका मिला है। शिक्षा ज़रूरी नहीं है की नौकरी पाने के लिए की जाये, आप युवा पीढ़ी कोशिश कीजिए की नौकरी प्रदान करने वाले बने न कि नौकरी लेने वाले। पश्चिमी देश इतने विकसित इसलिए हैं क्योंकि वहाँ के बच्चो को काम करने की आदत है वे किसी भी काम को छोटा नहीं समझते। उन्होंने कहा कि उद्यमशीलता ही आपको सशक्त बना सकती है, देश को सशक्त बना सकती है। नौकरी खाने को दे सकती है पर अंबानी और अदानी तो उद्यमशीलता से ही बना जा सकता है।
अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड के चेयरमैन रमेश अग्रवाल ने कहा कि आप लोग पांच सपने देखिए, उन में से किसी एक को चिह्नित कीजिए, उसपर निरंतर प्रयास कीजिए और आपका लक्ष्य एक दिन आपको ज़रूर हासिल होगा। उन्होंने अपनी जीवन के बारे में बताया कि जब में सेना में कार्यत था तो मन में एक ही विचार आता था की कैसे में और लोगों को भी रोज़गार प्रदान कर सकूं, इसलिए मैंने अपनी सेना की नौकरी छोड़ दी और 1987 में शुरुआत की अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स की। उन्होंने अपने ख़ुद के आज़माये हुए नुस्खों को संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ साँझा किया ताकि वे लोग भी कुछ सीख ले सकें। उद्घाटन सत्र का समापन संस्कृति विवि की स्टूडेंट काउंसिल के अध्यक्ष यश श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
