Baba Saheb’s birth anniversary was celebrated in Sanskrit University
डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर, संस्कृति विश्वविद्यालय के विधि एवं विधिक अध्ययन विद्यालय ने “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषयक एक विशेष कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला में वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण, भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका और उनके व्यापक बौद्धिक योगदान पर विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में संस्कृति विवि के विशेषज्ञ वक्ता डॉ. रजनीश त्यागी ने डॉ. भीम राव अंबेडकर के जीवन और विरासत के बारे में अपनी गहरी और सूक्ष्म जानकारी देकर विद्यार्थियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि डा. अंबेडकर प्रतिकूल परिस्थितियों से निकलकर आधुनिक भारतीय इतिहास में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों से एक थे। उन्होंने इस प्रभावशाली व्यक्तित्व की असाधारण यात्रा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि डा. अंबेडकर ने जिन सामाजिक चुनौतियों और प्रणालीगत भेदभाव का सामना कर न्याय और समानता के उच्च दृष्टिकोण को स्थापित किया । डॉ. त्यागी ने डॉ. अंबेडकर की शिक्षा के प्रति अथक खोज पर प्रकाश डाला और बताया कि उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, उनकी बौद्धिक प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बारे में भी विस्तार से प्रकाश डाला। व्याख्यान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में डॉ. अंबेडकर की ऐतिहासिक भूमिका को समर्पित था। डॉ. त्यागी ने संविधान में निहित मूल्यों- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय- के बारे में विस्तार से बताया और बताया कि कैसे डॉ. अंबेडकर ने उन्हें नए स्वतंत्र भारत के ढांचे में सावधानीपूर्वक पिरोया। उन्होंने मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और बताया कि कैसे डॉ. अंबेडकर की दूरदर्शिता और कानूनी कौशल की स्पष्टता ने एक मजबूत और समावेशी संवैधानिक लोकतंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, डॉ. त्यागी ने एक अर्थशास्त्री के रूप में डॉ. अंबेडकर के योगदान पर प्रकाश डाला, जो अक्सर उनके राजनीतिक और कानूनी कार्यों से प्रभावित होते हैं। उन्होंने सार्वजनिक वित्त, मौद्रिक नीति और भारतीय रुपये की समस्या जैसे विषयों पर डॉ. अंबेडकर के अग्रणी शोध के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि कैसे डॉ. अंबेडकर का आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक हैं, खासकर सामाजिक न्याय, गरीबी उन्मूलन और समावेशी विकास के संदर्भ में।
कार्यशाला के प्रारंभ में स्टूडेंट वेलफेयर विभाग के डीन डॉ. धर्मेंद्र सिंह तोमर ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के जीवन से जुड़े कई किस्से साझा किए। उनकी टिप्पणियाँ जानकारीपूर्ण और प्रेरक दोनों थीं, जिन्होंने छात्रों पर एक गहरी छाप छोड़ी और उन्हें डॉ. अंबेडकर की स्थायी विरासत पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए डा. रजनीश से अनेक सवाल किए, जिनके उत्तर देकर डा. रजनीश ने उनको संतुष्ट किया। कार्यशाला के समन्वयक संकेत वाजपेयी, सह समन्वयक लव गोस्वामी और छात्र संकाय के सदस्यों ने वक्ताओं को सम्मानित करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। अंत में डा. कमल सिंह धाकड़ के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
