संस्कृति विवि के मनोविज्ञान विभाग में आत्महत्या निरोध पर हुई चर्चा
मथुरा। आत्महत्या निरोध को लेकर संस्कृति विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने विद्यार्थियों के साथ मिलकर आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए कई शानदार प्रस्तुतियाँ दीं। सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ. रजनीश त्यागी ने छात्रों को आत्महत्या की रोकथाम के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि मनुष्य के रूप में जीवन ईश्वर की एक बड़ी सौगात है। समस्याएं और परेशानियां हरेक के जीवन में आती हैं, इन्हें चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए। असफलता से निराश नहीं होना चाहिए बल्कि असफलता से सीख लेनी चाहिए और अपनी कमजोरियों को पूरे उत्साह के साथ दूर करना चाहिए। यदि अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे तो निश्चित ही निराशा आपके पास नहीं फटकेगी। मनोविज्ञान विभाग की डीन डॉ. मोनिका अब्रोल ने भी छात्रों को आत्महत्या निरोध के उपायों पर संबोधित किया और जीवन को सकारात्मक रूप से जीने की आवश्यकता पर बल दिया। और साथ ही साथ साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की एसिस्टेंट प्रोफेसर श्रेया शर्मा ने भी अपना भी प्रमुख योगदान दिया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषण से हुई, जिसमें आत्महत्या की रोकथाम और इसके उपायों पर चर्चा की गई। इसके बाद, छात्रों ने अपनी कलात्मक प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। वंदना, मनोविज्ञान विभाग की तृतीय वर्ष की छात्रा, ने अपनी प्रभावशाली कविता से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसकी कविता ने जीवन की आशा, मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम के महत्व को गहराई से दर्शाया। दूसरे वर्ष की छात्राओं स्निग्धा, दीपशिखा, ज्योति, और महिमा ने एक शानदार लघु नाटिका द्वारा आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के विषय को बड़ी जीवंतता से अभिनीत किया। पहले वर्ष के छात्रों अंकुर और मुस्कान ने रिश्तों पर आधारित एक शानदार अभिनय प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को रिश्तों की महत्वपूर्णता और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के संबंध को समझने में मदद की।