संस्कृति विवि में नींद के विकारों और इनके निदानों पर हुई गंभीर चर्चा
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग द्वारा नींद सम्बंधी विकार जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि नींद संबंधी विकार कौन से हैं, इनके कारण क्या हैं और इन विकारों से मुक्ति पाकर कैसे अपने स्वास्थ्य को सामान्य बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा. रजनीश त्यागी ने बताया कि नींद संबंधी विकार ऐसी स्थितियाँ हैं जो रात में आपको मिलने वाली नींद की गुणवत्ता, मात्रा और समय को प्रभावित करती हैं। सामान्य नींद संबंधी विकारों में अनिद्रा, बेचैन पैर सिंड्रोम, नार्कोलेप्सी और स्लीप एपनिया शामिल हैं। नींद संबंधी विकार आपके मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। आपको आवश्यक आराम पाने में मदद के लिए उपचार उपलब्ध है। डॉ. त्यागी ने बताया कि कैसे हम अपने खानपान में बदलाव लाकर कर अपनी नींद सम्बंधी समस्याओं से निजात पा सकते है। उन्होंने न केवल उपचार के विषय में बात की बल्कि उनके कारणों पर भी प्रकाश डाला। उनके द्वारा दी गई जानकारी सभी के लिए महत्वपूर्ण थी।
जागरूकता के इस अभियान में मनोविज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दीं। बी० ए० द्वितीय वर्ष के छात्राओं द्वारा एक नाटक को प्रस्तुत कर नींद सम्बंधी विकारों पर प्रकाश डाला गया। बी०ए० प्रथम वर्ष की छात्रा पूजा यादव ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नींद संबंधी विकारों की श्रेणियां कई बार बदली हैं। हाल ही में, नींद विकारों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण ने लक्षणों के आधार पर नींद विकारों को वर्गीकृत किया है। जिसमें यह बताया गया है कि यह किसी व्यक्ति को ये कैसे प्रभावित करते हैं और शरीर प्रणाली को कैसे प्रभावित करते हैं। कार्यक्रम के दौरान बी०ए० तृतीय वर्ष की छात्रा प्रोवि प्रीती लोधी ने अपना निजी अनुभव शेयर किया जब वह 8 वीं कक्षा छाता थी तो उसने नीद सम्बंधी विकार को झेला और बताया कि उनके परिवार द्वारा उन्हें सहयोग मिला जिससे वह पूर्ण स्वस्थ हो पायीं।
कार्यक्रम का संचालन बी० ए० तृतीय वर्ष के छात्र आनंद सिंह रंधावा द्वारा किया गया। जिसमें कार्यक्रम का समापन & विभाग की डीन डॉ० मोनिका अवरोल के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। कार्यक्रम के दौरान खेल अधिकारी रिचा जादौन और विभाग अध्यापक डॉ० उर्वशी शर्मा व अन्य सदस्य भी शामिल थे।