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Monday, September 23, 2024

बाजारवादी दौर में प्रत्येक उपभोक्ता का सजग होना बहुत जरूरी

बाजारवादी दौर में प्रत्येक उपभोक्ता का सजग होना बहुत जरूरी

मथुरा। जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में शुक्रवार को विश्व उपभोक्ता दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को उपभोक्ता अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि आज के बाजारवादी दौर में उपभोक्ताओं का सजग और जागरूक होना बहुत जरूरी है। एक उपभोक्ता होने के नाते हमें जो अधिकार मिले हैं उनका इस्तेमाल भी जरूरी है।
प्रो. अवस्थी ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति आज उपभोक्ता है। हमारे पास ऐसे अधिकार हैं जो उपभोक्ताओं के रूप में हमें सम्भावित दुर्व्यवहारों या ज्यादतियों से बचाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने पहली बार 1960 के दशक की शुरुआत में इन अधिकारों के महत्व को बताया था। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की स्थापना 15 मार्च, 1983 को हुई थी और 1985 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं के अधिकारों को मान्यता देने का फैसला लिया था। हमारे देश में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और उन्हें उपभोक्ता जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करने के लिए 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीपीए) पेश किया गया था।
प्रो. अवस्थी ने कहा कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को जानना चाहिए। उन्हें अपनी इच्छित वस्तुओं की कीमतें और गुणवत्ता पता होनी चाहिए। हमें किसी भी उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता या मानक पर समझौता करने से बचना चाहिए तथा स्वतंत्र विकल्प चुनना चाहिए। विक्रेताओं के प्रभाव में आकर कोई भी उत्पाद खरीदने से बचना चाहिए। प्रो. अवस्थी ने कहा कि ग्राहक को हमेशा पक्का बिल लेना चाहिए तथा यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो उसकी विभाग में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि इस साल की थीम निष्पक्ष और जिम्मेदार एआई है।
डॉ. शशि शेखर विभागाध्यक्ष प्रबंधन ने छात्र-छात्राओं को बताया कि पैकेट बंद वस्तुएं जैसे दूध पैकेट, पानी की बॉटल आदि पर अंकित खुदरा मूल्य से अधिक शुल्क लेना अपराध होता है। जिसमें फ्रीज एवं कूलिंग चार्जेस के नाम से भी अधिक राशि नहीं ली जा सकती। यदि कोई दुकानदार ऐसा करता है तो उसकी शिकायत जिला नापतौल अधिकारी एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिकारी से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक उपभोक्ता को सुरक्षा, क्षतिपूर्ति, वस्तु चयन, खरीदी गई वस्तु से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी हासिल करने का अधिकार है।
इस अवसर पर ख्याति श्रीवास्तव ने कहा कि उपभोक्ता से यदि किसी प्रकार की ठगी होती है तो इसके लिए त्रिस्तरीय फोरम की व्यवस्था है जिसमें नाममात्र के शुल्क पर सादे कागज पर आवेदन देकर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। शिकायत का निवारण तीन से पांच महीने में हो जाता है। इस अवसर पर कार्यक्रम के समन्वयक आशीष प्रताप सिंह ने विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को खाद्य पदार्थों में मिलावट, नापतौल में होने वाली अनियमितताओं तथा ठगी से बचने के उपाय बताए। खाद्य पदार्थों में मिलावट को कैसे पहचाना जाता है, इसकी भी छात्र-छात्राओं को विस्तार से जानकारी दी गई। अंत में आभार ख्याति श्रीवास्तव ने माना।

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