गोलपाड़ा मथुरा में होने वाली नरसिंह लीला में हर साल ही ये सुनने में आता था की लीला में नरसिंह जी स्वरूप बनने पर व्यक्ति विशेष एवम समूह में आपस में विवाद होता है।। तथा झगड़े के उपरांत कोई पक्ष नरहरी बनकर लीला का संचालन करता है जिससे अन्य पक्षों की भावना आहत होती है, परंतु कल शाम प्रयाग घाट टिपालेश्वर मंदिर पर एक सभा का आयोजन किया गया जिसमे बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से ये फैसला लिया गया की यह लीला तीन पक्षों में विभाजित की जाती है प्रयाग घाट, गोलपाड़ा और समस्त मौहल्लेदार परिवार
। बारी बारी से हर साल एक पक्ष सेवा से लेकर उत्सव तक का संचालन करेगा।। तीन पक्षों का विभाजन प्रयाग घाट, गोलपाड़ा ब समस्त मौहल्लेदार परिवार इस क्रम में किया गया।। जिससे प्रत्येक पक्ष की बारी हर 2 साल बाद आएगी ।
इस पर सर्वसहमति से लिखित में समझौता हुआ । इस साल लीला का संचालन मौहल्लेदार परिवार द्वारा किया गया तथा उनके द्वारा भव्य फूल बंगला और प्रसाद का आयोजन किया गया ।
सभा में एक बड़ी संख्या में लोगों ने प्रतिभाग लिया जिसमे प्रेम किशोर चतुर्वेदी, राकेश चतुर्वेदी, विनोद चतुर्वेदी, नगेंद्र चतुर्वेदी, वृंदावन चतुर्वेदी, अयोध्या चतुर्वेदी, छोटेलाल चतुर्वेदी मौहल्लेदार, बल्लो चतुर्वेदी मौहल्लेदर, सतीश चतुर्वेदी मौहल्लेदार, झब्बू मौहल्लेदार, भरत चतुर्वेदी मौहल्लेदार, शरद चतुर्वेदी मौहल्लेदार, नीरज चतुर्वेदी मौहल्लेदार, विवेक चतुर्वेदी महौल्लेदार, श्याम चतुर्वेदी मौहल्लेदार, रामकुमार चतुर्वेदी, अवधेश चतुर्वेदी, विष्णु चतुर्वेदी, सजल चतुर्वेदी, कमली चतुर्वेदी, श्रीनाथजी चतुर्वेदी, शिवम चतुर्वेदी, गौरव चतुर्वेदी, मोतीलाल चतुर्वेदी, अंकुर चतुर्वेदी, दिनेश चतुर्वेदी, सुरेश चतुर्वेदी, अशोक चतुर्वेदी
मुख्य रूप से उपस्थिति रहे
सालो से विवाद का केंद्र रही गोलपाड़ा प्रयाग घाट की प्रसिद्ध नृसिंह लीला का हुआ निराकरण ..
