12.6 C
Mathura
Monday, December 30, 2024

के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जनों ने बचाई पांच युवकों की जान

के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जनों ने बचाई पांच युवकों की जान

एन.एच.-2 में हो गए थे गम्भीर रूप से दुर्घटनाग्रस्त
मथुरा। किसी का जीवन बचाने वाले चिकित्सकों को यूं ही भगवान नहीं कहा जाता। 17 फरवरी को एन.एच.-2 में हुई भयंकर दुर्घटना में घायल हुए अकबरपुर, मथुरा निवासी पांच युवकों की जान बचाकर के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के जाने-माने न्यूरो सर्जनों डॉ. अजय कुमार प्रजापति और डॉ. अवतार सिंह ने एक नजीर पेश की है। कई घण्टे की मुश्किल सर्जरी के बाद युवकों की जान बचाई जा सकी।
गौरतलब है कि 17 फरवरी, शुक्रवार को लगभग 11 बजे दिन में कांवर लेकर जा रहे अकबरपुर निवासी देवकरण (15), मांगेराम (17), अभिषेक (17), कुमार (20) तथा अनिल (18) को एन.एच.-2 में कोई अज्ञात वाहन रौंदते हुए निकल गया। इन युवकों को मणनासन्न स्थिति में के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। पांचों युवकों के सिर में गम्भीर चोटें थीं तो दो युवकों के पैरों की हड्डियां भी टूट गई थीं। इनका काफी रक्तस्राव होने से स्थिति काफी गम्भीर थी, ऐसे में के.डी. हॉस्पिटल के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉ. अजय कुमार प्रजापति और डॉ. अवतार सिंह ने बिना विलम्ब किए कई घण्टे की मशक्कत के बाद युवकों की जान बचाई। इनमें एक मरीज काफी गम्भीर अवस्था में था जिसके सिर की सर्जरी भी करनी पड़ी।
अब सभी युवक खतरे से बाहर हैं तथा किसी मरीज की जान नहीं जाने से परिजन के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों की मुक्तकंठ से प्रशंसा कर रहे हैं। मरीजों के सिर की सर्जरी करने वालों में डॉ. अजय कुमार प्रजापति और डॉ. अवतार सिंह का सहयोग डॉ. दिलशेख सलमानी, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. जयेश, डॉ. नवीन, डॉ. दीपक तथा टेक्नीशियन राजवीर एवं रजनीश ने किया। तीन युवकों को पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद जहां छुट्टी दे दी गई वहीं दो अन्य युवक भी अब खतरे से बाहर हैं।
डॉ. अजय कुमार प्रजापति का कहना है कि जब पांचों युवकों को लाया गया था तब उनकी हालत बेहद खराब थी। इनके सिर और पैरों में फ्रैक्चर थे। मरीजों की जान बचाने के लिए जीवन रक्षक उपाय के रूप में कृत्रिम श्वांस नली लगाई गई। चोटों की स्थिति का पता लगाने के लिए तुरंत मल्टीपल स्कैन किए तथा सर्जरी की प्रक्रिया पूरी की गई। डॉ. प्रजापति का कहना है कि सभी को यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए। यदि कोई हादसा हो भी जाए तो मरीज की मदद करनी चाहिए तथा नजदीकी चिकित्सालय में उसे भर्ती कराना चाहिए। मरीज को अस्पताल पहुंचने में जितना समय लगता है, उसके बचने की उम्मीद उतनी ही कम हो जाती है। हादसा होने के बाद अगले एक घण्टे के अंदर मरीज को सही इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचने की उम्मीद काफी ज्यादा हो जाती है।
डॉ. प्रजापति का कहना है कि कई लोग यह सोचकर मदद करने के लिए आगे नहीं आते कि बाद में उन्हें परेशानी हो सकती है, जबकि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019, धारा-134ए के तहत सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति पर उस घटना के लिए किसी भी तरीके से कोई केस नहीं चलाया जाता तथा अस्पताल पहुंचने से पहले ही यदि घायल व्यक्ति की मौत भी हो जाए तो पहुंचाने की कोशिश करने वाले व्यक्ति पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जाता।
चित्र कैप्शनः युवक के दाएं डॉ. अजय कुमार प्रजापति और बाएं डॉ. अवतार सिंह व अन्य।

के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जनों ने बचाई पांच युवकों की जान
के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जनों ने बचाई पांच युवकों की जान

Latest Posts

फरियादियों की लाइन में 5 साल की बच्ची को देख चौंक गए डीएम, चॉकलेट देकर भेजा घर

DM was shocked to see a 5 year old girl in the line of complainants, gave her chocolate and sent her home मथुरा के डीएम...

वृन्दावन में अपराध के साये में श्रद्धालु हुआ घायल, पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में

Devotee injured under the shadow of crime in Vrindavan, role of police under question वृंदावन श्रद्धा और भक्ति की नगरी वृन्दावन इन दिनों...

ब्रज लोक संस्कृति एवं सेवा संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत लीला कथा में धूमधाम से मनाया कृष्ण जन्मोत्सव

Krishna Janmotsav celebrated with great pomp in Shrimad Bhagwat Leela Katha organized by Braj Folk Culture and Service Institute. विख्यात कथा वाचिका ब्रज रत्न...

एक दशक से प्रतीक्षारत गोपाल बाग बाईपास सड़क का कैबिनेट मंत्री ने किया शिलान्यास

Cabinet Minister laid the foundation stone of Gopal Bagh bypass road which was awaited for a decade कोसीकला के गोपाल बाग से बाईपास को...

Related Articles