आप सभी लोग जानते हैं कि बॉलीवुड में एक ऐसा दौर था जब हर दूसरी फिल्म में कादर खान होते थे |
उस समय फिल्मों में कादर खान का होना हिट का पर्याय माना जाता था |कादर हिंदी सिनेमा का वह हीरा रहे, जिसने फिल्मी पर्दे को अपनी एक्टिंग से लेकर डायलॉग और कहानियों से दशकों तक रोशन किया, लेकिन इस बॉलीवुड जगत का यह सितारा 31 दिसंबर 2018 को हमेशा के लिए खो गया | आज कादर खान ने चार साल हो गए है इस दुनिया को अलविदा कहे हुए |
कादर खान जैसी शख्सियत न तो उनसे पहले कभी हुई थी और न ही फिर कभी होगी | चाहे कॉमेडी हो या फिर विलेन का रोल, कादर खान ने हर किरदार में जान भरी और यही वजह है कि उनकी फिल्मों को लोग आज भी बड़े चाव से देखते हैं |
दरअसल आपको बता दें कि कादर खान ने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और 250 से ज्यादा फिल्मों के डायलॉग लिखे | उन्होंने पद्मश्री समेत ढेरों सम्मान और अवॉर्ड जीते | भले ही उन्होंने अपने करियर में काफी स्टारडम बटोरा और अपने बच्चों को भी अच्छी जिंदगी दी, लेकिन उनकी खुद की जिंदगी गरीबी में बीती थी |
आपको बता दें कि उनका जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था, लेकिन उनके माता-पिता इस डर से भारत चले आए थे कि कहीं उनका बेटा मर न जाए, क्यूंकि कादर खान से पहले परिवार में 3 बेटों का जन्म हुआ था, लेकिन तीनों जब 8 साल की उम्र तक पहुंचे तो वो चल बसे |
अब ऐसे में कादर खान के माता-पिता को डर सताया कि कहीं कादर के साथ ऐसा न हो जाए तो इसके चलते वे लोग भारत आ गए और मुंबई के स्लम एरिया धारावी में रहने लगे |
लेकिन कादर खान के माता-पिता के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा था और इस वजह से उनका तलाक हो गया |
उस समय कादर खान बहुत छोटे थे |पति से तलाक के बाद मां ने कादर खान को बहुत ही तंगी और मुश्किलों में पाला | कादर खान की मां की जबरदस्ती दूसरी शादी करा दी गई और जिस शख्स से कादर खान की मां की शादी हुई थी, वह बहुत मारपीट और गाली-गलौज करता था |
वह कादर खान से भी कहता कि वह अपने असली पिता से जाकर पैसे मांगे | कादर को मां की मदद और गुजारे के लिए बचपन से ही मजबूरी में भीख मांगनी पड़ी और वह डोंगरी जाकर वहां मस्जिद के बाहर भीख मांगते और जो भी पैसे मिलते उनसे दो वक्त की रोटी नसीब होती |
क्यूंकि जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई करते और खेलते-कूदते हैं, उस उम्र में कादर खान काम पर जाते और भीख मांगते, लेकिन मां चाहती थी कि बेटा कादर पढ़े तो इसलिए उन्होंने कादर खान का स्कूल में एडिमशन करवा दिया और नमाज के लिए भेजने लगीं |
कादर खान को बचपन से ही मिमिक्री का शौक था तो इसलिए वह स्कूल बंक करके कब्रिस्तान में पहुंच जाते और वहां बैठकर खुद से बात करते हुए फिल्मों के डायलॉग बोलते और एक्टरों की मिमिक्री करते और यही शौक कादर खान को फिल्मों में ले आया |
कादर खान ने मिमिक्री के शौक के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी की थी | उन्होंने मुंबई के इस्माइल युसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग की और फिर एक कॉलेज में प्रोफेसर बन गए | बताया जाता है कि कादर खान एक बार जब कॉलेज में पढ़ा रहे थे तो दिलीप कुमार का फोन आया और उन्होंने कादर खान का नाटक देखने की इच्छा जताई और कादर खान मान गए |
कादर खान के नाटक देखकर दिलीप कुमार ने उन्हें फिल्मों में मौका दिया और उस दिन से कादर खान की पूरी जिंदगी बदल गई और फिर कादर खान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पूरे बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ना शुरू कर दिया | जिसकी बदौलत यह है कि आज भी कादर खान को पूरा बॉलीवुड ही नहीं पूरी दुनिया जानती है |