स्वामी विवेकानंद का कृतित्व और व्यक्तित्व सभी के लिए अनुकरणीय
मथुरा। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के शैक्षिक संस्थानों जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में शुक्रवार को देश के महान आध्यात्मिक गुरु और सबसे बड़े यूथ आइकॉन स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर उनकी जयंती मनाई गई। कॉलेज के डीन और प्राचार्यों ने छात्र-छात्राओं को बताया कि स्वामी विवेकानन्द का कृतित्व और व्यक्तित्व सभी के लिए अनुकरणीय है।
जी.एल. बजाज की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का ज्ञान आत्म-विश्वास, आध्यात्मिकता और सभी मनुष्यों की एकता पर केन्द्रित था। वह समाज के सुधार के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे और चरित्र निर्माण तथा मूल्य आधारित शिक्षा के महत्व पर जोर देते थे। अपने भाषणों और लेखों के माध्यम से उन्होंने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया और भारत की सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक पहचान को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रो. अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। आध्यात्मिक गुरु विवेकानंद जब 25 साल के थे, तब उन्होंने सांसारिक मोहमाया को त्यागकर संन्यास लेने का निर्णय किया और 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। अपने जीवन के आखिरी समय में स्वामी विवेकानंद ने यूरोप से भारत लौटकर बेलूर की ओर रुख किया और वहां अपने शिष्यों के साथ अपना अंतिम समय बिताया। 4 जुलाई, 1902 को स्वामी विवेकानंद ने आखिरी सांस ली। इस अवसर पर प्राध्यापकों द्वारा छात्र-छात्राओं से स्वामी विवेकानन्द के बारे में प्रश्न पूछे गए। जी.एल बजाज में छात्र-छात्राओं के बीच भाषण प्रतियोगिता भी हुई। भाषण प्रतियोगिता में बीटेक प्रथम वर्ष की छात्रा यशी लवानिया को पहला, दीपक वर्मा को दूसरा तथा एमबीए प्रथम वर्ष की छात्रा निशा अग्रवाल को तीसरा स्थान मिला। कार्यक्रम का संचालन राधिका मित्तल व हिमांशु भारद्वाज ने किया। अंत में विभागाध्यक्ष एमबीए डॉ. शशी शेखर ने सभी का आभार माना। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में भी स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने विवेकानंद के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करते हुए कहा कि आज के समय में भारत जैसे देश में विवेकानंद जैसे मनीषियों का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि भारत विश्व का सबसे युवा आबादी वाला देश है। स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व में हिन्दुस्तान का मस्तक ऊंचा किया। के.डी. मेडिकल कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि विवेकानंद का पूरा जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी शिक्षाएं युवाओं के लिए पथ प्रदर्शक का काम करती हैं। डॉ. अशोका ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने 1893 शिकागो में जब विश्व धर्म संसद में हिन्दू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता पर भाषण दिया था, तभी वह लोगों के बीच व्यापक रूप से प्रसिद्ध हो गए। सही मायने में स्वामी विवेकानंद की शिक्षा और विचार आज हर भारतीय के लिए अनुकरणीय हैं।