रोजमर्रा की सामग्रियों का सही उपयोग और प्रबंधन जरूरी
मथुरा। पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या जरूर है लेकिन हम अनुपयुक्त वस्तुओं के सही प्रबंधन द्वारा इससे निजात पा सकते हैं। हम अपने घर के अनुपयुक्त सामान को सही तरीके से प्रबंधित कर, वस्तुओं को फेंकने की बजाय उनकी मरम्मत कर अपने द्वारा उत्पादित कचरे की मात्रा और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव में बड़ा अंतर ला सकते हैं। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा के छात्र-छात्राओं को जानी-मानी डिजाइनर शुभी सचान ने बताईं।
सुश्री सचान ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण से ही हम अपने आसपास के वातावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। छात्र-छात्राएं इसमें बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं क्योंकि वही हमारा भविष्य हैं। रचनात्मक नवाचार को प्रतिबद्ध शुभी सचान ने कहा कि भविष्य उन लोगों का है जो अपने सपनों की सुन्दरता में विश्वास करते हैं। लंदन के सेंट्रल सेंट मार्टिंस स्कूल ऑफ आर्ट एण्ड डिजाइन से मटेरियल फ्यूचर्स में परास्नातक सुश्री सचान ने टिकाऊ डिजाइन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी परियोजनाएं, ’लाइफ ऑफ ए बुलेट’ और ’ट्रेडिशनल फ्यूचर्स’ कार्यात्मक और पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं को बनाने में अपशिष्ट पदार्थों की क्षमता पर प्रकाश डालती हैं।
मटेरियल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान सुश्री सचान ने छात्र-छात्राओं से दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों को समझने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम रोजमर्रा की सामग्रियों का सही उपयोग कर स्वच्छ आज, हरा कलः कचरे का बुद्धिमानी से प्रबंधन विषय को सही साबित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम अनुपयुक्त वस्तुओं को जलाकर पर्यावरण को ही प्रदूषित करते हैं। अपशिष्ट जलाए जाने से होने वाला प्रदूषण कई स्वास्थ्य समस्याओं अस्थमा, हृदय रोग, कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से जुड़ा हुआ है।
सुश्री सचान ने कहा कि अपशिष्ट और उसका गलत प्रबंधन भी बड़ी समस्याएँ पैदा कर रहा है। फेंके जाने वाले भोजन से हम प्रचुर मात्रा में श्रम, ऊर्जा और भूमि संसाधनों को खो देते हैं। ठोस कचरे का संचय एक खतरनाक पर्यावरणीय बम है जो पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। भारत जैसे आबादी बहुल देश में पर्यावरण के मुद्दे को बहुत गम्भीरता से लेने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए हम सबसे सुंदर ग्रह पृथ्वी को सुरक्षित रख सकें।
अगर हमें कचरा प्रबंधन में जिम्मेदारी बरतनी है, तो हमें अपने घर की अनुपयुक्त वस्तुएं इस तरह रखनी होंगी जोकि बाहर जाकर भी समस्या और परेशानी का बायस न बनें। सुश्री सचान ने छात्र-छात्राओं को ई-अपशिष्ट से होने वाले खतरों से भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि आजकल हर घर में बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उपभोग किया जा रहा है, घरेलू स्तर पर इन्हें फेंकते समय हम ध्यान रखें कि खाद्य सामग्री और ई-कचरा अलग-अलग रखा जाए। अगर आपने टूटा हुआ थर्मामीटर या फ्यूज हुआ बल्ब कचरे में मिला दिया तो उसका जहर पूरे कचरे को विषाक्त कर देगा। अंत में संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने डिजाइनर शुभी सचान को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।