34.7 C
Mathura
Sunday, March 23, 2025

निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाता है संगीत

शिक्षा में संगीत की उपयोगिता से रूबरू हुए जी.एल. बजाज के विद्यार्थी

संगीत का जीवन में विशेष महत्व है। क्षेत्र कोई भी हो संगीत का सम्पुट उसमें नई ताजगी भर देता है। फाइन आर्ट शब्द हम सबने सुना है। कला, संगीत और साहित्य के समन्वय को ही फाइन आर्ट कहते हैं। फाइन आर्ट क्यों कहते हैं क्योंकि यह जीवन को फाइन बनाते हैं। संगीत में तो रोते शिशु को भी खुश करने की क्षमता होती है। आनंदित मन में ही कोई अच्छी बात जगह बना सकती है। यह सारगर्भित बातें जाने-माने बांसुरी वादक सौरभ प्रसाद बनौधा ने जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा के छात्र-छात्राओं से साझा कीं। बनौधा ने कहा कि शिक्षा में संगीत विषय केवल उत्सव पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ही नहीं है बल्कि इसका सभी विषयों से जुड़ाव है। उन्होंने बताया कि मनुष्य का शुरुआती जीवन एक बांसुरी की तरह है, इसमें कई छेद और खालीपन हो सकते हैं लेकिन अगर आप इस पर सावधानी से काम करेंगे तो यह अद्भुत धुनें आपके जीवन को खुशहाल बना देंगी। एक कुशल बांसुरी वादक के हाथ में बांसुरी सपनों का प्रवाहमान पात्र बन जाती है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि बाहरी वृत्त है, हम क्या करें, आंतरिक वृत्त है हम कैसे करें और सबसे भीतरी वृत्त है हम क्यों करें। हम क्या कर रहे हैं और कैसे कर रहे हैं, इसे समझने पर ध्यान केंद्रित करना भी बहुत जरूरी है। बनौधा बताते हैं कि कलाकार जितना महत्वपूर्ण होता है उतना ही महत्वपूर्ण दर्शक भी है। संगीत के सभी रंगों में क्या सामान्य बात है? इसका उत्तर यह है कि यह 12 नोड्स हैं। सौरभ बनौधा के पास 18 साल का कार्य अनुभव है क्योंकि वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी हैं, इनके 3 सॉफ्टवेयरों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। बनौधा ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि जीवन में शास्त्रीय संगीत जरूर सीखना चाहिए। इससे न केवल मन खुश रहेगा बल्कि निर्णय लेने की शक्ति भी बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि आपके हृदय को छूने में सक्षम गांठों का सुंदर संयोजन ही राग के नाम से जाना जाता है। सौरभ बनौधा ने राग हंस ध्वनि, कृष्ण भजन, गजल, रुद्ररास (भगवान शिव तांडव) की शानदार प्रस्तुति के साथ ही कव्वाली,गाने कुछ धुनें यहां तक कि एक हॉलीवुड फिल्म की धुन (टाइटेनिक) भी प्रस्तुत की। सौरभ प्रसाद बनौधा, प्रख्यात वाराणसी घराने से संबंध रखते हैं। साथ ही वह एकल कलाकार होने के साथ-साथ बांसुरी वादक भी हैं। बनौधा बताते हैं कि उन्होंने ग्यारह साल की उम्र में गुरु और अपने पिता स्वर्गीय पंडित निरंजन प्रसाद, जोकि अंतरराष्ट्रीय स्तर के बांसुरी वादक थे, उनसे बांसुरी सीखना शुरू किया था। संगीत के क्षेत्र में उनकी शिक्षा गुरु-शिष्य परम्परा के रूप में शुद्ध समर्पण के साथ आगे बढ़ी है। समय के साथ, उन्होंने कई पुरस्कार और प्रतियोगिताएं जीती हैं। इन्हें भारत माता अभिनंदन सम्मान (2022), पं. घनरंग प्रकाश सम्मान (2021), वेणु रत्न सम्मान (2019), कला सम्मान (2019), भार्गव सभा सम्मान (2013) तथा युवा अलंकार (2007) जैसे सम्मान मिले हैं। अंत में संस्थान की निदेशक प्रो.नीता अवस्थी ने बांसुरी वादक सौरभ बनौधा को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।

Latest Posts

नए मुकाम की ओर बढ़े एलएलबी छात्र, बीएसए कॉलेज में दी गई शानदार विदाई शिक्षकों का हुआ भव्य सम्मान

LLB students moved towards new heights, teachers were honoured with grand farewell at BSA College बीएसए (पी.जी.) कॉलेज, मथुरा के विधि विभाग में एलएलबी...

संदिग्ध परिस्थितियों में 11 वर्षीय बालिका की हुई मौत, पुलिस जुटी जांच में

बरेली थाना फरीदपुर क्षेत्र के जाटव बस्ती, मोहल्ला परा में शनिवार को 11 वर्षीय बालिका आयुषा उर्फ आईशा की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो...

संस्कृति विवि में पेटेंट प्रारूपण और ई-फाइलिंग पर हुई उपयोगी कार्यशाला

संस्कृति विश्वविद्यालय, संस्थान की नवाचार परिषद (मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल), आईईईई, संस्कृति बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा "भारत में पेटेंट प्रारूपण और ई-फाइलिंग"...

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क गैस सिलेंडर किए गए वितरित

Free gas cylinders distributed under Prime Minister Ujjwala Yojana प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथ नें आज लखनऊ में डीबीटी...

संस्कृति विवि में विशेषज्ञों ने छात्रों को उद्यमी बनने के लिए किया जागरूक

Experts at Sanskriti University made students aware to become entrepreneurs संस्कृति विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड कामर्स, स्कूल ऑफ...

Related Articles