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Tuesday, December 3, 2024

शिक्षण संस्थान युवा शक्ति को राष्ट्रसेवा की दें तालीमः प्रो. मोहन हेडे

शिक्षण संस्थान युवा शक्ति को राष्ट्रसेवा की दें तालीमः प्रो. मोहन हेडे

मथुरा। हमारी हर समस्या का समाधान हमारे पास है। ईश्वर निर्मित इस शरीर में ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से हमारे लिए हर वह कार्य सम्भव है जिसमें परोपकार और स्वयं की उन्नति दिन दूनी रात चौगुनी हो सकती है। भारतीय युवा पीढ़ी को विकास पथ पर आगे बढ़ना है तो उसे स्वयं की काबिलियत पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। यह बातें राजीव एकेडमी में टाकिंग एन अपाइंटमेंट विद योरसेल्फ विषय पर आयोजित कार्यशाला में हार्टफुलनेस रिसर्च सेण्टर मैसूर के डायरेक्टर प्रो. मोहन हेडे ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
प्रो. हेडे ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन गुरुकुलों द्वारा छात्र-छात्राओं के जीवन दर्शन हेतु स्थापित मानदण्ड लुप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक युग में सर्टिफिकेट से अधिक महत्व छात्र-छात्राओं के स्किल्स को सुधारने पर दिया जाता था। गुरुकुल के आचार्य छात्र-छात्राओं को इस योग्य बनाते थे ताकि वे हर परेशानी का स्वयं निदान कर सकें। अफसोस की बात है कि आज हमारे देश के युवा सर्वाधिक डिप्रेसन का शिकार हो रहे हैं।
प्रो. हेडे ने कहा कि भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी है। विश्व में युवा शक्ति के बारे में भारत नम्बर वन है। भारत में लगभग 65 प्रतिशत युवा शक्ति मौजूद है। आवश्यकता है शिक्षण संस्थान इस महाशक्ति को राष्ट्रसेवा में लगाएं। प्रो. हेडे ने पश्चिमीकरण के अंधानुकरण को गलत बताते हुए कहा कि एक-एक युवा स्वयं में एक रेजीमेंट है। भारतीय सेना के जवानों की राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रभक्ति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को सजग राष्ट्ररक्षक-राष्ट्रसेवक बनाने में एनएसएस, एनसीसी सहित योग शिक्षा महती भूमिका का निर्वहन करती है।
रिसोर्स परसन ने छात्र-छात्राओं से कहा कि वे स्वयं से परिचित हों तथा स्वयं की उपयोगिता को समझें। अपने कर्तव्य का पालन करें तथा दूसरे क्या कह रहे हैं इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दें। श्रीमद्भगवद्गीता का उदाहरण देते हुए उन्होंने चेताया कि हमारे आध्यात्मिक विज्ञान को विदेशी अपना कर आगे बढ़ रहे हैं परन्तु हम जानते हुए भी अनजान इसलिए हैं क्योंकि हम रट्टू तोता बने हुए हैं। जबकि हमें जानने के साथ-साथ करके भी दिखाना है। हम जो कहते हैं उस पर अमल नहीं करते।
प्रो. हेडे ने छात्र-छात्राओं से प्रैक्टिकल अप्रोच रखने का आह्वान किया। उन्होंने भारत के सभी शैक्षिक संस्थानों में योग केन्द्र की स्थापना कर भटकती युवा शक्ति को राष्ट्रसेवा में संलग्न करने की अपील की। अन्त में 15 मिनट का ध्यान योग व ध्यान समाधि के साथ ही कार्यशाला का समापन हुआ। संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का आभार माना। छात्र-छात्राओं ने इस मोटिवेशनल कार्यशाला को बहुत उपयोगी बताया।

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